पथ के साथी

Wednesday, October 1, 2014

करो उपाय



1-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
अति पावन  
प्यारा रूप प्रभु का  
करूँ नमन ।
2
अद्भुत छटा
पर्वत पे सुस्ताएँ  
काली घटाएँ ।
3
अरी संभल
कतरे ही न जाएँ
ये तेरे पर ।
4
आँखों के प्याले  
कितने बहे ,रहे  
दिल पे छाले ।
5
आएँ सुधियाँ  
दर्द कोई मीठा- सा  
उभरे नया ।
6
एक मीत- सी  
यादों की सरगम  
बजे गीत सी
7
करे गुमान
उजला सूरज ले
ऊँचा मकान ।
8
करो उपाय  
घट अमृतमय   
रीत न जाए ।
9
कह जाने दो  
व्यथा आँसुओं -संग  
बह जाने दो ।
10
कैसे निभाऊँ
जो सहेजे थे रिश्ते
मूँग दलते ।
11
कोई तो कहे  
क्यों कर भला हम  
बड़े हो गए ।
-0-
2-मनोज कुमार श्रीवास्तव मनु

जीवन क्या है ? सतत चलते जाना
जन्म से मृत्यु तक का सफर है
सतत चलते जाना
यदि रुक गया चलने क्रम
 वही कहलाता है मृत्यु
यदि तुम्हें चाहत है सफलता  की
तो उसका अचूक मन्त्र है सतत चलते जाना
यदि तुम्हारे कदम लड़खड़ाये या रुके
तो समझो  तुम्हारी प्रगति अवरुद्ध हुई
और यही रुकावट कहलाती है मृत्यु
पानी है यदि मृत्यु पर विजय तो
तुम्हें  है सतत चलते जाना सतत चलते जाना
चलना ही जीवन है प्रकृति है
इसका सर्वोत्तम उदहारण
नदिया चले चले चंदा और तारे
चले पृथ्वी भी उनके संग चले प्रकृति का हर अंग
क्या है ऋतुओं का आना जाना
यह भी तो चलने का ही क्रम है
पानी है मंजिल यदि तो
तुम्हे है सतत चलते जाना सतत चलते जाना
चलन ही जीवन है इसलिए
तुम्हे है सतत चलते जाना सतत चलते जाना
-0-


3 comments:

  1. Dono rachnakaron ko hardki badhai khubsurat prstuti ke liye..,

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  2. मेरी भावाभिव्यक्ति को आपसे मिले स्नेह और प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार भावना जी एवं भाई काम्बोज जी !

    सुन्दर ,प्रेरक रचना के लिए बहुत बधाई मनोज कुमार श्रीवास्तव 'मनु' जी

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  3. BAHUT SUNDER PRASTUTI...AAP DONO KO SADAR NAMAN KE SAATH BADHAI.

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