पथ के साथी

Sunday, February 23, 2014

खूबसूरत सफ़र

अनिता ललित
1
मेरी दूर की नज़र कमज़ोर,
पास की सही !
तुम्हारी पास की नज़र कमज़ोर,
दूर की सही !
तो चलो फिर !
तुम दूर की ज़िन्दगी सँवार लो...
मैं पास की ज़िन्दगी सँवार लूँ...
अपने 'साथ' के सफ़र को ख़ूबसूरत  बना लें हम ...!!!
       2
       जब भी मेरे दिल में कोई तूफ़ानी लहर उठती है...
       मेरी नज़रें तुम्हें तलाशती हैं...
       हाथ तुम्हारा थामकर
       मैं सुकून से खुद को उस लहर के हवाले कर देती हूँ...
       तुम्हीं मेरी कश्ती, तुम्हीं पतवार..
       तुम साथ हो जब...
       मुझे डूबने का कोई डर नहीं...
       3
       जब तुम पास होते हो ...
       सबकुछ उजला-उजला लगता है,
       मैं भरी-भरी होती हूँ … !
       जब तुम पास नहीं होते...
       सबकुछ फीका-फीका हो जाता है ,
       और मैं.बिलकुल रीती हो जाती हूँ ....
      
       -0-





18 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (24-02-2014) को "खूबसूरत सफ़र" (चर्चा मंच-1533) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत ही ख़ूबसूरत !

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  3. काव्य यात्रा को सरस बनाते कोमल ,मधुर भावों की बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति अनिता जी !
    हृदय से बधाई ...शुभ कामनाएँ !!

    सस्नेह
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  4. आदरणीय हिमांशु भैया जी, प्रिय सखी ज्योत्स्ना जी ...इस स्नेह का, इस मान का ...बहुत-बहुत आभार ! :-)

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. बहुत सुंदर सामंजस्य.....होना भी चाहिए
    सुकोमल भावाभिव्यक्ति
    साभार ....

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  6. सहज, सरल शब्दों में लिखी मन को छू जाने वाली सुन्दर पंक्तियों के लिए हार्दिक बधाई...|

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  7. सहज-सरल शब्दों में लिखी मन को छू जाने वाले इन सुन्दर पंक्तियों के लिए हार्दिक बधाई...|

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  8. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...

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  9. मेरी दूर की नज़र कमज़ोर,
    पास की सही !
    तुम्हारी पास की नज़र कमज़ोर,
    दूर की सही !
    तो चलो फिर .......................क्‍या खूब एहसास है। बहुत सुन्‍दर अनिता जी बधाई।

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  10. dil ke bhawon ki khoobsurat prastuti ....

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  11. safar tai karte sache sathi sadaiv ek dusare ki kamiyon ko pura karke hi age badhate va safalata pate hain.bahut sunder bhav hai.

    anita ji apako badhai.
    pushpa mehra.

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  12. मन को छू जाने वाली सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  13. बढ़िया प्रस्तुति- -
    आभार आदरणीया -

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  14. शास्त्री सर, सुशीला जी, अदिति पूनम जी, प्रियंका जी, सीमा जी ... सराहना एवं प्रोत्साहन के लिए ह्रदय से आभार ..! :-)

    ~सादर
    अनिता ललित

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  15. सुषमा जी, डॉ निशा जी, पुष्पा मेहरा जी, संजय जी, रविकर जी, काली प्रसाद जी सराहना एवं प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हार्दिक आभार !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  16. सहजीवन की सुन्दर छटा, प्यारी लगी।

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  17. anita ji mujhe aapke bhaav bahut hi sunder lage ...man ko lubhati eak pyari abhivyakti.....badhai

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