पथ के साथी

Saturday, July 16, 2011

पात-प्रतिक्रिया

पात-प्रतिक्रिया
[1-रचना श्रीवास्तव,2-शैल अग्रवाल ,3-डॉ हरदीप सन्धु,4-ॠता शेखर मधु  5-रवि रंजन,6-मंजु मिश्रा 7-डॉ नूतन डिमरी,8-रेखा रोहतगी ने अपनी सार्थक टिप्पणियों से मेरा मान ही नहीं बढ़ाया वरन् ‘वाह !वाह! बढ़िया’ जैसी चलताऊ टिप्पणियों से बचते हुए सार्थक प्रतिक्रियाएँ प्रस्तुत कीं। ये सिर्फ़ प्रतिक्रियाएँ ही नहीं, श्रेष्ठ हाइकु के उदाहरण भी हैं ; अत: मैं इन्हे  अलग से देने का लोभ संवरण नहीं कर सका । रवि रंजन जी ने हाइगा,हाइकु और कुही के स्वरूप को सिर्फ़ एक हाइकु में परिभाषित कर दिया, काव्यशास्त्रीय रूप में। मैं आप सबका बहुत कृतज्ञ हूँ।]
1-रचना श्रीवास्तव
1
काँटे चुभे न
बदन , हिलने से
डरे हैं पात
2
राही को छाया
वृक्ष को दे भोजन
पत्ते का काम
-०-
2-शैल अग्रवाल [सम्पादक: लेखनी डॉट नेट -हिन्दी एवन अंग्रेज़ी]
1
फिर आए ये
भोजपत्र आस के
हमारे नाम।
2
पीत पर्ण जो
झरने दो उनको
रोको ना आज।
3
ओस-सा-मन
हवा की छु्अन से
सिहरा गात।
3-डॉ हरदीप सन्धु
1
सुन्दर पात
आपकी छुअन से
सुंदर और !
2
नर्म -नर्म से
हरीतिमा बिखेरें
ये डाल-डाल !
3
पात झरें तो
यूँ बिखर जाएँगें
गली -गली में !
4
सूखे पात तो
फिर से फिर होंगे
हरे कचूर
5
ओ मन तेरा
मुरझा जाए कभी
देखो पात को !

0-

4-ऋता शेखर 'मधु'
    1
नव जीवन
कोमल किसलय
प्राण -संचार।
2
हरे पात दें
प्राणवायु प्राणी को
विष वायु से
5-रवि रंजन
1
चित्र हाइगा
शब्द से है हाइकु
पत्थर कुही।
6-मंजु मिश्रा
कहने को तो
चार आखर पर
अर्थ अनंत
7-डॉ नूतन डिमरी
हरा है अभी,
चाहूँ- रोकूँ समय,
पतझड़ को

8-रेखा रोहतगी

1
-टीका क्यों माथ 
हाइकु व हाइगा
सुन्दर साथ .
2
आपके शोध 
जगाते हैं मन में 
सौन्दर्यबोध 

5 comments:

  1. Respected Sir,
    It is my pleasure to find that I got your attention on my
    comment on ‘PAAT HAIGA’.
    You know I am not a writer .But I like to read these articles.
    Your Haiga and also Rita madhu’s Haiga on Hindi Haiku
    impressed me very much and thus I unknowingly
    wrote that haiku. Now again I am trying to write a haiku.
    समझ पाते
    संवेदनशील ही
    संवेदन को
    With regards
    Ravi Ranjan

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  2. टिप्पणियों को
    मिला सम्मान यहाँ
    धन्य हैं हम|

    आपका तहेदिल शुक्रिया ..सादर

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  3. पाया हमने
    टिप्पणी पे टिप्पणी
    पुरस्कार सा|

    हार्दिक धन्यवाद सर|
    सादर
    ऋता

    रवि रंजन जी ने अनजाने में ही सही, किन्तु
    अच्छे हाइकु रच डाले हैं|एक हाइकु उनके लिए,

    घनिष्ठ रिश्ता
    लेखक औ’ पाठक
    संवेदन का

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  4. सभी हाइकु एक से बढ कर एक हैं । इन्हें हम तक पहुँचाने का धन्यवाद। मै भी लगभग 15 दिन बाद नेट पर आयी हूँ। अपने हाइकु भी भेजती हूँ।

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  5. "संवेदन" की संवेदनशीलता मन को छू गयी. इस स्नेहसिक्त मान के लिए आभार
    सादर...
    मंजु

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