पथ के साथी

Monday, October 25, 2010

काम्बोज जी सम्मानित...

लघुकथा के लिए काम्बोज जी को चंडीगढ़ में सम्मानित किया गया ये हमारे लिए बड़े गर्व की बात है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं, मेरे कुँअर परिवार की ओर से काम्बोज जी को हार्दिक बधाई...

23 अक्तुबर चंडीगढ़
1-डॉ मुक्ता , डायरेक्टर हरियाणा साहित्य अकादमी 2-सी आर मोदगिल डायरेक्टर हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी 3-डॉ वीरेन्द्र मेहदीरत्ता ४- रामेश्वर काम्बोज 5-सुकेश साहनी 6- वीरबाला काम्बोज 7-ललिता अग्रवाल

Wednesday, October 13, 2010

तुम ग्लेशियर हो !

तुम ग्लेशियर हो !
रामेश्वर काम्बोज हिमांशु



हे प्रियवर !
परम आत्मीय
जानता हूँ  मैं-
आहत होता है मन ,
जब कोई अपना
दे जाता है फाँस की चुभन ।
फाँस का रह रहकर टीस देना






कर देता है सजल नयन  !
जो लोग तुम्हें जान नहीं पाते,
इसलिए वे पहचान नहीं पाते
कि घाटियों में ठोकरें खाकर
नीचे गिरते झरने 
बल खाती साँप सी  विरल जल की सरिताएँ
कितनों को सुख पहुँचाते हैं  !
लेकिन सुखों का स्वाद लेने वाले
इसे कब समझ पाते हैं -
ग्लेशियर का पिंघलना
घाटियों से बूँद-बूँद जल का रिसकर
धारा में बदलना
नदी बनकर सागर तक का सफ़र पूरा करना ।
तुम तो ग्लेशियर हो !
जो ग्लेशियर को नहीं जानते
वे नदी का रूप भी नहीं पहचानते ।
इस तरह जो ग्लेशियर को खोते हैं
वे नदी के भी सगे नहीं होते हैं ।
उनसे अपनेपन की आशा करना
है आकाश में फूलों का खिलना ,
दो किनारों का आपस में मिलना ।
ग्लेशियर !
जब तुम किसी ताप से
पिंघलकर बहो
किसी से अपने मन की पीर ज़रूर कहो
जब किसी से ( वह भी कोई आत्मीय ही होगा)
अपनी पीर कहोगे
कुछ तो मिटेगा ताप
फिर इतना नहीं बहोगे
तभी बच पाओगे
अपनी शीतलता से
आने वाली सदी तक बने रहोगे ।
-0-

Saturday, October 9, 2010

काम्बोज जी दिल्ली से अब सिडनी में ...

ऑस्ट्रेलिया सिडनी से प्रथम बार प्रकाशित हिन्दी पत्रिका "हिन्दी गौरव" का प्रथम अंक २ अक्तूबर को सामने आया, जिसमें काम्बोज जी की लघु कथा "चक्रव्यूह" भी प्रकाशित हुई। हम सब सिडनी के हिन्दी प्रेमियों की ओर से काम्बोज जी को हार्दिक बधाई....



"चक्रव्यूह"











Sunday, October 3, 2010

दो अक्टूबर और बापू

दो अक्टूबर और बापू
 मंजु मिश्रा
बापू ने हमें आज़ादी दी
लेकिन हमने क्या किया
उनका एक एक सपना
सिरे से नकार दिया ।

 सिर्फ दो अक्टूबर को
 एक दिन माला पहनाकर
 उनको याद करने भर से 
 जिम्मेदारी पूरी नहीं होत। ।

सच  में उनको मान देना है तो  
चलो आज कसम खाओ,
उनके मूल्यों को जिन्दा करेंगे
समझेंगे और उन पर चलेंगे 

राजनीति कुर्सी के लिए नहीं
देश हित के लिए करेंगे
अन्याय और भ्रष्टाचार
सहन नहीं करेंगे ।

सत्य और अहिंसा पर
भरोसा करेंगे,
एक दिन में ना सही
पर फल जरूर मिलेंगे ।

जिस दिन हम
ईश्वर और अल्ला को
एक नज़र से देख सकेंगे
उस दिन हम सही मायनों में
बापू के भक्त बनेंगे ।
                  मंजु मिश्रा