पथ के साथी

Saturday, January 10, 2009

अधिकारियों की हड़ताल

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
अधिकारियों की एक हड़ताल ने पूरे देश को बन्धक बना लिया है । करोड़ों लोगों को हैरान और परेशान करने वाले ये अधिकारी लगता है देश और जनता दोनों दे भी ऊपर हो गए हैं । ऑटोचालक से लेकर दफ़्तर जाने वाले सभी कर्मचारी परेशान ,एम्बुलेंस से अस्पताल जाने वाले परेशान : अधिकारियों का वेतन जो नहीं बढ़ा । इस तरह के आतंकवादी अधिकारी अपने वेतन को बढ़ाने के लिए पूरे देश को ही ब्लैकमेल करने पर तुले हैं ।इन्हें जो भी दण्ड दिया जाए वह कम है । क्या इन्हें रोटी के लाले पड़ गए हैं ? यदि नहीं तो इन्हें किसी की रोटी से खेलने का अधिकार किसने दिया ? क्या ये उन रोटी से वंचित रहने वाले ऑटोचालकों या अन्य कर्मियों की रोज़ी का खमियाज़ा भुगतेंगे ? दफ़्तरों के नुकसान का हिसाब-किताब देंगे ? नहीं ,तो क्यों नहीं ?इन्हें इनका प्रस्तावित वेतन देकर देश की सीमा पर भेज देना चाहिए तब इनको मालूम होगा कि नौकरी क्या चीज़ है । वातानुकूलित कक्ष में बैठकर ऐसा मज़ाक करना आसान लगता है । इन अड़ियल अधिकारियों के साथ वही व्यवहार होना चाहिए जो आतंकवादियों के साथ होता है ,क्योंकि इनका व्यवहार उनसे भी बदतर है ।
इस देश में ऐसे भी अधिकारी हैं ,जिनकी केवल सालाना वेतन-वृद्धि 36 लाख तक या ज़्यादा भी है ; जबकि भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी का वार्षिक वेतन भी इतना नहीं है । ।आखिर जनता के पैसे पर ये लोग कब तक मौज़ करते रहेंगे ?

1 comment:

  1. आम जन को उनकी दैनिक ज़रुरतों से वंचित करना भी एक तरह से आतंकवाद है।

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